Monday, September 17, 2012

घऱ लुटाने की



घर लुटाने की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बेवकुफ लोगोंमे है
वक्त आने दे तुझे हम बताऐंगे कॅग वालो
खाया जो रीश्वतमे
पैसा छुपाया तो नही हमने

कोयलेसे काला दिल
है आज लाखोंका इधर
प्यार
बैठा था जिधर आज बैठा है जहर
क्यो कहे हम देस अपना कितने सच्चे आप हो
कॅगवालो लो कसम केहेदो चाखा नही
हमने नमक

आज रोते लोग जो है
वो कल रूलाऐंगे नही ?
देखलो आपसमे उनका भी कभी जमता नही
भ्रष्ट राज होंगे हम पर क्या प्रजा भी भ्रष्ट नही
?
दो रोटी दे खुशिकी ये हमारे खुनमे है ही नही

की विदेशी माल की होली जहां इस देश ने
आज
बैठा है विदेशी माल बहुत सन्मान से
क्या हुआ क्यो चुप रहे हो डालो जरा खुदपे नजर
खुदके आखो मे गिरा
है तु क्या बदलेगा जिगर

तू ही देता
है हमे हर बार जिम्मेदारीयॉं
लेके
पैसे वोटमे रखता है दिल गिरवी यहॉ
कितने आते ही नही र बादमे ये गालीया
क्यो सहे हम जुल्म उनका जो न
है इस देस का

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